Renu

Add To collaction

समझ – स्वरूप व स्वभाव की

शरीर का संबंध संसार के साथ है और आत्मा का संबंध ईश्वर के साथ...

शरीर की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संसार की आवश्यकता है और आत्मिक शांति के लिए परमात्मा की ओर बढ़ना पड़ेगा...

शरीर की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सांसारिक वस्तुओं की अनिवार्यता को नकारा नहीं जा सकता लेकिन....

यह समझना उचित नहीं कि केवल सांसारिक वस्तुओं से ही जीवन में पूर्णता आ जाएगी वास्तविकता तो यह है कि आप कितनी भी सांसारिक वस्तुएं अर्जित कर लें लेकिन यदि आत्मिक तल पर आप शांत अनुभव नहीं करेंगे तो एक स्थिति में पहुंचकर आपको सभी सांसारिक वस्तुएं व्यर्थ दिखाई देंगी...

इसे आप ऐसे समझे जैसे पक्षी के दो पंख होते हैं किसी एक पंख के न होने पर पक्षी थोड़ा भी नहीं उड़ पाएगा, इसी प्रकार शरीर की आवश्यकताओं के लिए संसार और जीवन की शांति के लिए परमात्मा से समीपता दोनों ही अनिवार्य हैं अगर व्यक्ति विवेक पूर्वक सांसारिक वस्तुओं को

महत्वपूर्ण तो समझे लेकिन सब कुछ ना समझे तो वह जीवन के संतुलन को बनाए रख सकता है, ऐसी स्थिति में संसार व्यक्ति के लिए बाधक नहीं साधन ही हो जाएगा और व्यक्ति अपनी प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता हुआ निरंतर अपने मन को परमात्मा में लगाए रख सकेगा..

यही वह स्थिति होगी जो व्यक्ति को कल्याण के मार्ग पर लेकर जाएगी इसी संतुलन को बनाए रखने की समझ विकसित करने का मार्ग आध्यात्म है हमारे योगियों ने अलग अलग ढंग से इस विषय को समझाया है

क्योंकि यह बात सरलता से मन स्वीकार नहीं करता की संसार में सुख नहीं है इस विषय को समझने के लिए अपने जीवन के

अनुभवों पर सुक्ष्म दृष्टि रखना, चिंतन करना,

स्वाध्याय करना, ध्यान, प्रभु नाम, सत्संग आदि साधनों का सहारा लेना होगा तब यह विवेक विकसित होगा और व्यक्ति यथार्थ को देख सकेगा...

और यदि जो वास्तविक स्थिति है वह समझ आने लगे तो भ्रम दूर हो जाता है और भ्रम दूर हो जाने पर जीवन सहज और सरल हो ही जाता हैं.....

   4
4 Comments

जी सुंदरतम अभिव्यक्ति।

Reply

Raziya bano

26-May-2024 11:18 PM

Shandar rachana di

Reply

HARSHADA GOSAVI

26-May-2024 10:03 PM

V nice

Reply